जितिया पूजा: पुत्रों की लंबी उम्र के लिए माताओं का उपवास
परिचय:
जितिया व्रत, जिसे जितिया पूजा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है।
यह मुख्य रूप से बिहार और झारखंड में मनाया जाता है। यह व्रत माताओं द्वारा अपने पुत्रों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस व्रत का महत्व मातृत्व के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
व्रत की तिथि:
जितिया व्रत का आयोजन अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है।
यह आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आता है। इस दिन माताएँ अपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास रखती हैं और विशेष पूजा-अर्चना करती हैं।
व्रत का महत्व:
जितिया व्रत का मुख्य उद्देश्य पुत्रों की लंबी उम्र और उनके स्वास्थ्य की कामना करना है।
इस दिन माताएँ अपने बच्चों के लिए कई प्रकार के व्यंजन बनाती हैं और विशेष रूप से पूजा करती हैं। यह पर्व माताओं और बेटों के बीच के अटूट संबंध को दर्शाता है।
पूजा विधि:
व्रत का आरंभ: व्रत की शुरुआत सूर्योदय से होती है। माताएँ इस दिन स्नान कर शुद्धता का ध्यान रखती हैं।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए विशेष रूप से फल, मिठाई, और पूजा की थाली में अन्य आवश्यक सामग्री जैसे चावल, फूल, और दीपक शामिल होते हैं।
पूजा विधि: माताएँ पूजा के दौरान देवी दुर्गा की आराधना करती हैं। वे देवी को फल, मिठाई, और फूल अर्पित करती हैं और उनकी आरती करती हैं।
उपवास: इस दिन माताएँ दिनभर उपवास रखती हैं। कुछ माताएँ इस व्रत को निर्जला (बिना पानी) भी रखती हैं।
रात की जागरण: जितिया व्रत की रात माताएँ जागकर भजन-कीर्तन करती हैं। यह समय परिवार के साथ मिलकर अपनी भावनाओं को साझा करने का होता है।
समापन:
जितिया व्रत मातृत्व की शक्ति और बलिदान का प्रतीक है। यह पर्व न केवल बेटों की लंबी उम्र के लिए वरन परिवार के समृद्धि के लिए भी मनाया जाता है। इस दिन की पूजा और व्रत के द्वारा माताएँ अपने बच्चों के प्रति अपने प्रेम और समर्पण का प्रदर्शन करती हैं।
इस व्रत की परंपरा और महत्व को आगे बढ़ाना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस खूबसूरत पर्व को मनाने का महत्व समझ सकें।
निष्कर्ष:
जितिया व्रत माताओं और बेटों के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। इस दिन की विशेष पूजा और व्रत हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता भर देते हैं।
आप सभी को जितिया व्रत की हार्दिक शुभकामनाएँ!